बिजनेस, बड़ा हो या छोटा, मुनाफे के पीछे भागता है। जाहिर सी बात है, ये शुरू भी इसलिए किए जाते हैं। लेकिन ग्राहकों को टारगेट करने के लिए कुछ कंपनियां अनएथिकल रास्ते अपनाती हैं। एक उदाहरण लेते हैं। कभी आपको लगा है कि कपड़े धोने के किसी डिटर्जेंट की एडवरटीजमेंट में, सिर्फ बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है। या फिर एक टूथपेस्ट से लेकर, वजन घटाने तक के कई विज्ञापन, झूठे और भ्रामक हैं। वास्तव में ये, कंपनियों के अनैतिक व्यवहार का एक छोटा सा उदाहरण है। एथिकल मार्केटिंग। जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि यह एक ऐसी मार्केटिंग है, जो कुछ सिद्धांतों और मूल्यों पर आधारित है। इस मार्केटिंग स्ट्रेटेजी में, कंपनी का उद्देश्य, सिर्फ अपने प्रोडक्ट बेचना नहीं होता, बल्कि यह भी ध्यान में रखना होता कि उस कंपनी और उसके प्रोडक्ट्स का समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। मतलब एक कंपनी को अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी से लेकर, अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाने तक, हर चरण में, जनता के लिए वफादार रहना है। कुछ ऐसी कंपनियों की बात करते हैं, जिनकी अनएथिकल प्रैक्टिस लोगों के सामने है। साल 1981 से लेकर, फाइनांशियल सर्विस कंपनी वेल्स फ़ार्गो में एक के बाद एक बड़े घोटाले हुए हैं। हेज़लनट्स, स्किम मिल्क, और कोको पाउडर से बने न्यूटेला से आप सब परिचित होंगे। वास्तव में नुटेला ब्रांड के पीछे कंपनी फेरेरो है। इसे भी अपने झूठे विज्ञापन के चलते, सेटलमेंट करने के लिए कई मिलियन डॉलर का भुगतान करना पड़ा था। इसके अलावा, Volkswagen का emissions scandal। जब उसने उत्सर्जन रीडिंग में हेरफेर किया था, ताकि उसकी कारों को ऐसा दिखाया जा सके जैसे वे पर्यावरण के अनुकूल हों। यही नहीं, बिजनेस की अनएथिकल प्रैक्टिस की इस सूची में, कोका कोला भी शामिल था, जिसने प्रोडक्ट की क्वालिटी से लेकर एडवरटीजमेंट में, जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी।
मार्केटिंग एथिक्स की बात करें, तो इसमें कंपनी की उपभोक्ताओं के लिए ईमानदारी, उत्तरदायित्व, निष्पक्षता, सम्मान और ट्रांसपेरेंसी शामिल है। ईमानदारी को ऐसे समझा जा सकता है कि कंपनी को किसी भी तरीके से, अपने कस्टमर्स के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। जैसे कि प्रोडक्ट की क्वालिटी को लेकर या फिर उसकी झूठी मार्केटिंग के जरिए। हर कंपनी की समाज और लोगों के लिए एक जिम्मेदारी है, कि अपने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ, समाज के लिए दूसरे परोपकारी काम करे। उपभोक्ताओं के साथ कोई हेरफेर न करे, और खासकर उनकी पहचान और जानकारी को लेकर कोई धोखाधड़ी न करे। अपनी सर्विस और प्रोडक्ट्स के लिए स्पष्ट रहे। विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार, 2015 में, छोटे देश मलेशिया और मिस्त्र, की तुलना में भारत में सिर्फ 8 मिलियन विदेशी पर्यटक आ सके। कारण, हवाईअड्डे से लेकर टैक्सी, होटल, दुकान और टूर गाइड तक, सभी पर्यटकों को लूटने की कोशिश करते हैं। भारत के लिए ये भी तो ग्राहक ही हैं। हाउसिंग सेक्टर की कहानी भी इससे अलग नहीं है। सुस्त मांग की वजह से कीमतें बढ़ाना, डिफ़ॉल्ट और संपत्तियों की खरीद और बिक्री में काले धन का उपयोग होने से, मध्यम वर्ग के खरीदार बाजार से बाहर हो रहे हैं। फाइनेंशियल सेक्टर में भी अनैतिक व्यवहार देखने को मिलता है। कई बैंकों या इंश्योरेंस कंपनियों में धोखाधड़ी और घोटालों के अलावा, एक और चीज बहुत आम है। जैसे ये आपको निवेश के लिए बोलते हैं, उनका मकसद सिर्फ बिक्री करने से होता है, न कि सही सलाह देना। और यही कारण है कि वो किसी भी स्कीम के फायदे आपको बताएंगे, लेकिन उसके इनविजिवल Risk का खुलासा नहीं करेंगे। और इस तरह अपनी टर्म एंड कंडीशन के तहत, आपके साथ चीटिंग कर जाते हैं।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, 90% से अधिक मिलेनियल ग्राहक नैतिक कंपनियों के उत्पाद खरीदना पसंद करते हैं। मार्केट की इकोनॉमी में, ग्राहक सबसे ज्यादा अहमियत रखता है, क्योंकि वही निर्धारित करता है कि क्या प्रोड्यूस किया जाएगा और खासकर, कौन उत्पादन करेगा। किसी भी बिजनेस में एथिकल वैल्यू बहुत जरूरी हैं, क्योंकि अगर कोई भी कंपनी अपने नैतिक मूल्यों पर खरा नहीं उतरती है, तो लोगों का उस पर विश्वास उठ जाता है। जिससे ग्राहक उस कंपनी के प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता नहीं देंगे, और इसका रिजल्ट क्या होगा। कंपनी का नुकसान या फिर वो खत्म हो जाएगी। अगर कोई भी बिजनेस या कंपनी, अनैतिक व्यवहार कर रही है, तो सरकार को उनके खिलाफ तुरंत एक्शन लेना चाहिए। इसके लिए सरकार को, कानूनी प्रणाली और तमाम लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को और मजबूत बनाना चाहिए, ताकि अनएथिकल बिजनेस में इन्वॉल्व होने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।